Sunday 12 August 2012

खतम होती है कहानी कुछ लब्जो के बाद
आ जाती है रवानी कुछ अश्को के बाद...
सुख जाते है अश्क डुब जाती है जवानी
मिट जाते है सपने कुछ अरसों के बाद .

............... ( सरल सुतरिया ).......


गर गम न हो तो जिने का मजा ही क्या ?
ठोकर न  लगे तो संभलने का मजा क्या ?
जवानी जब ढलती है तो तजुर्बा भी तो मिलता है
यूँ बगैर तजुर्बा जिंदगी जिने का मजा ही क्या ?
..... सरल सुतरिया ....  

તણખલે તરીને કિનારો પામી લીધો
તરતા રહીને મઝધારને માપી લીધો
જીવવાનું તો સરજાયું જ હતું કુદરતને ચોપડે
દુનિયામાં રહીને સૌનો સ્નેહ પામી લીધો......

................ ( સરલ સુતરિયા )...

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