Tuesday 22 November 2011

ख्वाहिश

मुड के देखा तो नजरे घायल कर गइ
दिल मे मेरे बडा-सा छेद कर गइ ।
कैसे जियु बिन तुम्हारे अब तो
तिरछी नजर दिल के आर-पार हो गइ ॥
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अच्छा था नही मिले थे तुम से जब तक
मिलने के बाद दिल का बुरा हाल है अब तक ।
ख्वाब भी तो नही जानते मेरे दिल की हालत
जो आते ही नही मेरी निंद भी तार-तार हो गइ ॥
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तडप तडप के झुरु फिर तेरे दिदार कि खातिर
आजा ओ जालिम अब मेरे एतबारकी खातिर ।
मर मर के जिये जा रहे है हम तेरी यादो मे
जिते जि  पायेंगे तुम्हे ये ख्वाहिश भी झार-झार हो गइ ॥
........................... सरल सुतरिया..........



Friday 4 November 2011

राह निहारुं बडी देरसे.....

केहते है कि, क्यूं जलाते हो दिल ! मैं हुं ना !
ठंडी आसमानी ओस का दरिया बनकर
तेरे दिल पर छा जाउंगा ॥

मेरी इन लहरो मे डुबते उतरते
तु मधुर सूरावलि सुनाना
झुमकर मैं उसे अपने भाव से भर दुंगा ॥

क्या कहा  ?  क्यूं उदास  हो !  मै हुं ना !
चांद का डोला सजाके तुम्हे बिठाके
मेरे  साथ तुम्हे भी ले जाउंगा ॥

मेरे ह्रदय की रानी बनकर
मेरे ही दिल पे शान से राज करना
मधुर बातो से मैं तेरा दिल हर लुंगा ॥

कब आओगी मेरे दिल के दरवज्जे पे ?
मेरा दिलहरण करने ओ दिलरूबा !
आ जाओ ! मेरे रोम रोम मे बसाउंगा ॥

.................... सरल सुतरिया...... ...

Wednesday 2 November 2011

आसान बात नही ...

कल्पसर से मोती पाना कोइ आसान बात नही
रात मे सुरज को ढुंढना कोइ आसान बात नही ।
मिलने को तो मिल जाते है सितारे बहुत
अमावस मे चांद को ढुंढना कोइ आसान बात नही ॥
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मानसरवर मे कमल खिलाना कोइ आसान बात नही
पर्वतो मे डगर बनाना कोइ आसान बात नही
मिलने को तो मिल जाते है दीवाने बहुत
एक सच्चा सज्जन दोस्त ढुंढना कोइ आसान बात नही ॥
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सुख के पलो को दिल मे संजोना कोइ आसान बात नही
गम मे भी दिल से हसाना कोइ आसान बात नही
मिलने को तो मिल जाते है यहा विराने  बहुत
मेरे अंजुमन मे विरानी ढुंढना कोइ आसान बात नही ॥
........................ सरल सुतरिया........