Tuesday 22 November 2011

ख्वाहिश

मुड के देखा तो नजरे घायल कर गइ
दिल मे मेरे बडा-सा छेद कर गइ ।
कैसे जियु बिन तुम्हारे अब तो
तिरछी नजर दिल के आर-पार हो गइ ॥
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अच्छा था नही मिले थे तुम से जब तक
मिलने के बाद दिल का बुरा हाल है अब तक ।
ख्वाब भी तो नही जानते मेरे दिल की हालत
जो आते ही नही मेरी निंद भी तार-तार हो गइ ॥
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तडप तडप के झुरु फिर तेरे दिदार कि खातिर
आजा ओ जालिम अब मेरे एतबारकी खातिर ।
मर मर के जिये जा रहे है हम तेरी यादो मे
जिते जि  पायेंगे तुम्हे ये ख्वाहिश भी झार-झार हो गइ ॥
........................... सरल सुतरिया..........



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