Wednesday 10 August 2011

कहा होती है सुंदरता ?

ओ बहेना !  बताओ जरा, ............कहा होती है सुंदरता ?
...
धरा पे खिलते हुए फुलो मे ?
...........या हरे पेडो की पत्तीयो मे ?
गगन मे चमकते तारो की रोशनी मे ?
...........या पूनम के चांद की चांदनी मे  ?
नीले गहन समंदर की लहरो मे ?
............या शांत स्थिर नदीयाँ की सफर मे ?
सहरा की चमकती फुदकती रेत मे ?
............या हीरे की अलबेली खानो मे ?...
ओ री बहना ! सुन जरा !.................
......
खीले हुए फुल कुम्हला जाते है.
............हरी पत्तीया सुख के पतझड मे झड जाती है .
पूनम की रोशनी मे कहाँ चमकते है तारे ?
............और चाँद की चाँदनी भी अमावस को मीट जाती है
गहन समंदर की लहरे भी किनारे से टकराके तुट जाती है
............. और नदीयाँ भी बाढ से ग्रसित हो जाती है
सहरा की रेत भी इधर-उधर टील्ले बनाती है
..............और हीरे की खानो से भी रेत  निकल जाती है.
सुंदरता  तो झलकती है ........
हमारे मनकी शांति मे
इश्वर के प्रति विश्वास मे
संतोष और  श्रद्धामे
सद्दगुण और समज मे
यही सुंदरता  है  जो शाश्वत रहती है
 
.... ......... सरल सुतरिया.........

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