Friday 26 August 2011

ओ कन्हैया....

मेरे दिलमे तू मेरे मनमे तू मेरे चितके आकाशमे भी तू,
फिर क्यों सताए मुझे ?
मेरी आन तू मेरी बान तू मेरा गुरुर और मेरी जान तू,
...फिर क्यों सताए मुझे ?
मेरा जीवन तू मेरा चितवन तू मेरी ममताकी प्यासी पुकार तू,...
फिर क्यों सताए मुझे ?
ओ कान्हा अब तो आन मिलो यु यशोमती को ना सताओ
आ भी जाओ ओर ना सताओ ....

........... सरल सुतरिया..........

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