विदेशकी धरतीसे विदा ले के
लो आ गई हु वतन की राहो को
ठंडी ठंडी हवाओं में साँस लेना दुभर था
लो आ गई हु वतन की हुंफमे जीने को.
कई लोगो ने कहा विदेशवा जाके बिगड़ गई हो,
लो आ गई हु वतन की राह में सुधरने को.
खा रहे थे अब तक ब्रेड बर्गर और PIZZA
लो आ गई हु बाजरे की रोटी और बेंगन भरता का स्वाद लेने को
घुमे वेल्स लन्दन और ग्रीनिच
लो आ गई हु चांदनी में ताजमहल का मजा लेने को
बिछड़ गई थी अब तक अपनोसे
लो आ गई हु फिर अपनोसे मिलने को
................सरला सुतरिया.........
लो आ गई हु वतन की राहो को
ठंडी ठंडी हवाओं में साँस लेना दुभर था
लो आ गई हु वतन की हुंफमे जीने को.
कई लोगो ने कहा विदेशवा जाके बिगड़ गई हो,
लो आ गई हु वतन की राह में सुधरने को.
खा रहे थे अब तक ब्रेड बर्गर और PIZZA
लो आ गई हु बाजरे की रोटी और बेंगन भरता का स्वाद लेने को
घुमे वेल्स लन्दन और ग्रीनिच
लो आ गई हु चांदनी में ताजमहल का मजा लेने को
बिछड़ गई थी अब तक अपनोसे
लो आ गई हु फिर अपनोसे मिलने को
................सरला सुतरिया.........
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